5 TIPS ABOUT श्री मधुराष्टकम् स्तोत्र YOU CAN USE TODAY

5 Tips about श्री मधुराष्टकम् स्तोत्र You Can Use Today

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भगवान कृष्ण की आराधना करने और उन्हें प्रसन्न करने से जीवन में सुंदरता, धन और समृद्धि आती है।

रूप मधुर है, तिलक भी अति मधुर है।श्रीमधुराधिपति आपका read more सभी कुछ मधुर है।

गर्ग संहिता में नागपत्नीकृतकृष्णस्तुति

सांस्कृतिक और कलात्मक प्रशंसा: मधुराष्टकम न केवल एक भक्ति रचना है बल्कि एक साहित्यिक और संगीतमय कृति भी है। इसकी जटिल कविता और मधुर प्रतिपादन भारतीय संस्कृति और भक्ति कलाओं की समृद्धि के लिए सौंदर्य आनंद और प्रशंसा प्रदान करता है।

रूपं मधुरं तिलकं मधुरं, मधुराधिपते रखिलं मधुरम् ॥४॥

मधुराष्टकं में श्रीकृष्ण के बालरूप को मधुरता से माधुरतम रूप का वर्णन किया गया है। श्रीकृष्ण के प्रत्येक अंग, गतिविधि एवं क्रिया-कलाप मधुर है, और उनके संयोग से अन्य सजीव और निर्जीव वस्तुएं भी मधुरता को प्राप्त कर लेती हैं। प्रभु के परमप्रिय भक्त महाप्रभु श्रीवल्लभाचार्य जी को मधुराष्टकं रचना के लिए शत -शत कोटि नमन!

శ్రీ సుబ్రహ్మణ్య స్వామి అష్టోత్తర శతనామావళి

हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरं ..

करणं मधुरं तरूणं मधुरं, हरणं मधुरं स्मरणं मधुरम्।

प्रह्लाद कृत नृसिंह स्तोत्र अर्थ सहित

गीतं मधुरं पीतं मधुरं भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरं ।

अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरं ।

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